Suryoday Ke Samay Surya Pratap Kyon Dikhai Deta Hai

सूर्योदय के समय सूर्य प्रताप क्यों दिखाई देता है?

सूर्य को सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अगर आपने कभी देखा है, तो आपको यह जरुर पता होगा की उन दोनों स्थितिओ में सूर्य लाल या नारंगी रंग का दिखाई देता है। क्या कभी आपने Suryoday Ke Samay Surya Pratap Kyon Dikhai Deta Hai इसके बारें में सोचा है की, क्या यह कोई भ्रम है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है?

तो दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम विस्तार से यह समझेंगे की इसके पीछे वह कौन-सा ऐसा कारण छुपा है जिससे की हमें सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यह अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है।

Suryoday Ke Samay Surya Pratap Kyon Dikhai Deta Hai

सूर्योदय के समय सूर्य प्रताप क्यों दिखाई देता है?

दोस्तों, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य प्रताप दिखाई देने का कारण प्रकाश का प्रकीर्णन (scattering) है। विज्ञान कहता है, जब सूर्य क्षितिज के नीचे होता है, तो उसका प्रकाश वायुमंडल की मोटी परत से होकर गुजरता है। इस दौरान, अधिकांश नीला प्रकाश प्रकीर्णित हो जाता है और आँख तक नहीं पहुँच पाता है।

केवल लाल रंग का प्रकाश ही है जो कम प्रकीर्णित होता है, क्योंकि लाल रंग की तरंग लंबी होती है और यह कम बिखरता है जिससे यह हमारी आँखों तक आसानी से पहुंच जाता है। यही कारण है कि सूर्योदय के समय सूर्य प्रताप दिखाई देता है। दोस्तों, क्या कभी आपने इस बात पर गौर किया है की, सूर्योदय के समय सूर्य प्रताप दिखाई देने की यह घटना केवल कुछ मिनटों तक ही रहता है।

सूर्योदय से पहले का समय क्या कहलाता है?

क्या आपने कभी यह सोचा है की सूर्योदय से पहले के समय को क्या कहा जाता है? तो चलिए आज हम आपको यह बताते है। सूर्योदय से पहले के समय को भोर और उषा काल कहा जाता है। इस समय को भोर का आगमन भी कहा जाता है। दोस्तों, यह उस समय का अवधि है जब सूर्य की प्रकाश की धारा पृथ्वी पर आने से पहले धीरे-धीरे बढ़ने लगती है।

हमारे बड़े बुजुर्ग कहते आ रहे है की सूर्योदय से पहले का समय सुंदरता और शांति को अनुभव करने का अद्वितीय तरीका है। यह एक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और शारीरिक कार्यो के लिए महत्वपूर्ण समय है। इस समय को ध्यान में रखने का महत्व विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में है।

बहुत से धार्मिक प्रथाओं और ध्यान विधियों में, भोर (प्रातःकाल) को ज्ञानी और आत्मानुभवी बनाने के लिए एक शक्तिशाली समय माना जाता है। इस समय ध्यान, प्रार्थना, योग, आसन और प्राणायाम की अभ्यास किया जाए तो शांति, स्वास्थ्य और आनंद को बढ़ावा मिलता है।


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