कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तब क्या होता है?
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका Techly360.com हिंदी ब्लॉग में. और आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे की “कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तब क्या होता है”? वैसे इसका जवाब मैंने निचे आपको उपलब्ध करवा दिया है. आप निचे इसका आंसर पढ़ सकते है.
सवाल: कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तब क्या होता है?
अप्पू को स्कूल जाते समय दुकान पर कंचों का जा़र दिखाई देता है. वह उस दुकान पर चला जाता है. दुकानदार दुकान पर नहीं था. उसे कंचे बहुत अच्छे लगे थे. कंचों का जा़र उसके देखते-देखते बड़ा होने लगा था. बड़ा होते होते जा़र आसमान जितना बड़ा हो गया. उस बड़े जा़र में केवल अप्पू और कंचे थे. वह मज़े से कंचों को बिखेर – बिखेर कर खेल रहा था. अचानक उसे एक तेज़ आवाज सुनाई पड़ती है, जिससे उसकी कल्पना टूट जाती है.
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निष्कर्ष – दोस्तों आपको यह “कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तब क्या होता है? – Kanche Jab Jar Se Nikalkar Appu Ke Man Mein Sama Jate Hain Tab Kya Hota Hai?” का आर्टिकल कैसा लगा? निचे हमे कमेंट करके जरुर बताये. और साथ ही पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर जरुर करे.